JobanJit Singh Dhillon
Elite
अभी तो हमसफ़र साथ था
हाथो में उसके मेरा हाथ था
नजरों से नजरे मिल रही थीं
लफ्ज कहने मैं जुबान का ना साथ था
होश उड़ चुके थे कब के
फांसला दरमियाँ भी ख़ाक था
जुल्फों की बन गयी थी काली घटाए
बादल उम्मीदों का बरसने को बेताब था
कोई वजह ना थी उनके आने की
सोचा ये तो बस एक इत्तिफाक था
फिर लगा कि सब हकीकत थी
आँख खुली तो देखा हसीन ख्वाब था
कलम :- हरमन बाजवा ( मुस्तापुरिया )
हाथो में उसके मेरा हाथ था
नजरों से नजरे मिल रही थीं
लफ्ज कहने मैं जुबान का ना साथ था
होश उड़ चुके थे कब के
फांसला दरमियाँ भी ख़ाक था
जुल्फों की बन गयी थी काली घटाए
बादल उम्मीदों का बरसने को बेताब था
कोई वजह ना थी उनके आने की
सोचा ये तो बस एक इत्तिफाक था
फिर लगा कि सब हकीकत थी
आँख खुली तो देखा हसीन ख्वाब था
कलम :- हरमन बाजवा ( मुस्तापुरिया )