रिश्ता मिलेगी छाँव तो बस कही धूप में मिलेग&#23

~¤Akash¤~

Prime VIP
मैं छाँव छाँव चला था अपना बदन बचा कर के रूह को एक खूबसूरत सा जिस्म दे दूँ
ना कोई सलवट ना दाग कोई , ना धूप झुलसे, ना चोट खाए, ना जख्म छुए ना दर्द पहुचें
बस एक गोरी, कवारीं सुबह का जिस्म पहना दूँ रूह को मैं, मगर तपी जब दोपहर दर्दों की
दर्द की धूप से जो गुजरा तो रूह को छाँव मिल गयी है अजीब हैं दर्द और तश्कीं का साँझा
रिश्ता मिलेगी छाँव तो बस कही धूप में मिलेगी...............................
 
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