बच्चों में छुपे रहना खुदा की ये रिवायत पुर&#23

~¤Akash¤~

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फकीरी में कुछ अपनी यूँ फितरत ही पुरानी है
हरेक मौसम हरा रहना कलंदर की निशानी है

कोई पायेगा क्या मुझको मैं अपने आप में गुम हूँ
में हूँ रुख पे हवाओं के सफ़र में जिंदगानी है

करोगे जानकर तुम क्या दिले बरबाद के किस्से
इब्तदा से इन्तहा तक बिखरने की कहानी है

दिखाये ना ये सोजे पा कभी मंजिल को भी हमने
अनापरवारी में गमों को ज़ब्त करने की कहानी है

कभी माँ की दुआओं में कभी मजलूम की आहों में
बच्चों में छुपे रहना खुदा की ये रिवायत पुरानी है.....
 

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
Re: बच्चों में छुपे रहना खुदा की ये रिवायत पुर

:wah Bahut Khoob :wah
 
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