पीले पत्तों को प्यारा बहुत हवाओं का सफ़र ल&#23

~¤Akash¤~

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लोगों की वफाओं से मुझे अब डर लगता है
हाथों में अपने कहते है फूल है पर खंजर लगता है

कर लूँ भरोसा इन हवाओं पे तो "अयान"
पर जद में चरागों की घर अपना लगता है

वो कहता है के चल आसां हैं ये बहुत
मगर मुश्किल ये महोब्बत का सफ़र लगता है


मंजिल तो बहुत है दूर ये रस्ता महोब्बत का
हर एक रस्ते से बहुत पुरखतर लगता है

एक उम्र बितायी हैं शीशे के घरों में "अयान"
कोई हाथ दुआ को भी उठे अब डर लगता है

झुक जाती है खुद बा खुद मेरी नजरें "अयान"
माँ के पैरों में मुझे जन्नत का सफ़र लगता है

आती हैं महक जिसमे मेरे गाँव की मिटटी की
बहुत प्यारा मुझे अपने गाँव का घर लगता है

हर रोज नया तू जो ये रंग बदलती है
ज़िन्दगी मुझे तेरे चेहरे से डर लगता है

अब तो बसा हैं बस वो ही मेरी आँखों में
जिस और भीं देखू मैं वो ही उधर लगता है

कभी मेरी आँखों में चुभ ना जाए "अयान"
तेरे कुछ खवाबों से मुझे अब डर लगता हैं

हवा की महोब्बत में टूट ही जाऊं अब तो सज़र से
पीले पत्तों को प्यारा बहुत हवाओं का सफ़र लगता है...
 

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
Re: पीले पत्तों को प्यारा बहुत हवाओं का सफ़र ल

:wah Bahut Khoob :wah
 
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