"कोई मंजिल नहीं जंचती सफ़र अच्छा नहीं लगता, अगर घर लौट भी आऊं तो घर अच्छा नहीं लगता. करूँ कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है, मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता ......"