खुशबु गुन्चे तलाश करती है बीते रिश्ते तलाश करती है जब गुजरती हैं उस गली से सबा ख़त के पुरजे तलाश करती हैं अपने माजी की जुस्तजू मैं बहार पीले पत्ते तलाश करती हैं एक उम्मीद बार बार आकर अपने टुकड़े तलाश करती है