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तुझे मांग कर खुदा से क्या ज्यादा मांग लिया मैंने,
क्या हो गया अगर जिंदगी को ही आजमा लिया मैंने,
लोग कहते है सदियों से के इश्क में रब बसता है,
गुनाह हो गया जो इश्क को ही खुदा मान लिया मैंने,
जब भी माँगा मैंने बस तेरी खुशी की दुआ ही मांगी,
मेरी खुशिया उडा के ले गई आई जो बक्त की आंधी,
सोचा था मागेगे तुझे खुदा के दर पर जा कर कभी,
तुझे खुदा मान के तेरे दर पर ही सर को झुका लिया मैंने
By Vivek Netan
क्या हो गया अगर जिंदगी को ही आजमा लिया मैंने,
लोग कहते है सदियों से के इश्क में रब बसता है,
गुनाह हो गया जो इश्क को ही खुदा मान लिया मैंने,
जब भी माँगा मैंने बस तेरी खुशी की दुआ ही मांगी,
मेरी खुशिया उडा के ले गई आई जो बक्त की आंधी,
सोचा था मागेगे तुझे खुदा के दर पर जा कर कभी,
तुझे खुदा मान के तेरे दर पर ही सर को झुका लिया मैंने
By Vivek Netan