वो कब हमारी आँख का इशारा समझते है, जिसे हम दिल-ओ-जान का सहारा समझते है.... क्या है रिश्ता, उससे ये तो हम नहीं जानते, हम हर हाल में बस उसे हमारा समझते है... एक उसकी गली छोड़ कर हम कहीं नहीं जाते, फिर भी शहर के लोग हमें अवारा समझते है....