जिन्दा रह के कोई जिया ही नहीं इश्क हमने कभी &#

~¤Akash¤~

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दर्दे-दिल क्या हैं बस यही साहिब
इश्क करना भी लाजमी सा हैं
जाने कैसा सवाल पूछा हैं इश्क हमने कभी किया ही नहीं
आज आँखों में रात काटी है चाँद का भी मिजाज देखा हैं
खुद से लिपटा रहा कोई शब् भर, दिल से शायद गुजर रहा था कोई
दर्दे-दिल क्या है क्या कहे साहिब इश्क हमने कभी किया ही नहीं
ज़िन्दगी तेज चल रही थी बहुत, पल में ही बस गुजर गई जैसे
कैसे उससे ही मांगते उसको वो तो खुद में कभी रहा ही नहीं
इश्क हमने कभी किया ही नहीं
आज फुरसत बहुत है दुनिया से आइना फिर सवाल करता है
दर्दे दिल क्या हैं क्या कहे उससे इश्क हमने कभी किया ही नहीं
जिन्दा रह के कोई जिया ही नहीं इश्क हमने कभी किया ही नहीं
 
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