बरसों में बना ना इंसां जो, दो दिन में नमाजी ब&

~¤Akash¤~

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मजहब की हटा के तलवारें वो अम्न का गाजी बन बैठा
ना सजदे किये ना सर काटे इमान से नाजी बन बैठा

क्या तेज हवाएं मस्लहत तेरे शहर में चलती है मुन्सिफ
सरे आम कत्ल कर के कोई वाईज़े-मिजाजी बन बैठा

गर्मी-ए-तिजारत हैं शायद ऊँचे ऊँचे मीनारों में
बरसों में बना ना इंसां जो, दो दिन में नमाजी बन बैठा.....
गाजी=धर्म योद्धा
नाज़ी=जन्नत में जाने वाला
मस्लहत=पालिसी
वाईज़े-मिजाजी=उपदेशक
गर्मी-ए-तिजारत=व्यापारिक गर्मी
 
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