~¤Akash¤~
Prime VIP
ये दिल फिर से दुआएं मांगता है
शायद बुझ रहा है हवाएं मांगता है
हुआ कुछ इस कदर रौशन वो जुगनू
हो सामने तो सूरज रिदाएँ मांगता है
करे कोई क्या इस मासूमियत का
आइना पत्थर से वफायें मांगता है
कटे ये सर, नहीं है फ़िक्र उसको
बचे दस्तार दुआएं मांगता है
अभी तक भी उसी की जुस्तजू में
वो माजी से सदायें मांगता है
जलाती हैं बहारें दिल किसी का
कोई फिर से खिजाएँ मांगता है
उसे भी मिल गया नया दोस्त शायद
वो अब मुझ से पनाहें मांगता हैं..
शायद बुझ रहा है हवाएं मांगता है
हुआ कुछ इस कदर रौशन वो जुगनू
हो सामने तो सूरज रिदाएँ मांगता है
करे कोई क्या इस मासूमियत का
आइना पत्थर से वफायें मांगता है
कटे ये सर, नहीं है फ़िक्र उसको
बचे दस्तार दुआएं मांगता है
अभी तक भी उसी की जुस्तजू में
वो माजी से सदायें मांगता है
जलाती हैं बहारें दिल किसी का
कोई फिर से खिजाएँ मांगता है
उसे भी मिल गया नया दोस्त शायद
वो अब मुझ से पनाहें मांगता हैं..