मस्जिद तो बना दी शबभर मे इमान की हरारत वालों ने दिल अपना पुराना पापी है बरसों मे नमाजी बन ना सका इकबाल बड़ा उपदेशक है मन बातों मे मोह लेता है गुफ्तार का वो गाजी तो बना किरदार का गाजी बन ना सका............