धूप को साया जमीं को आसमां करती है माँ हाथ रख कर मेरे सर पे सायेबाँ करती है माँ मेरी ख्वाइस मेरी जिद उसके क़दमों पर निसार हाँ की गुंजाईस ना हो तो फिर भी हाँ करती है माँ..............