कि साहिल से टकरा बेदम हुई, समंदर मे लौटती है &

~¤Akash¤~

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गज़ब का सुकूं है आज, तूफां की दस्तक लगती है,
कि वो खिड़की खुली नही, तू ..रोया है जरूर...

वो अश्क ही हैं तेरी आंखों मे, नूर-ए-मोती नही
कि दिल जख्मी हुआ है आज, लहू बहा है जरूर...

खुद को कैद करके, पीर-ए-पैगाम ना लिख
कि खामोशी की जुबां नही, वो शोर सुनता है जरूर...

बस लड़खडाया ही है तू, पैरों पे अपने यकीं रख,
कि सच को चलता देख, काफिर भागता है जरूर...

खुदा से ना डरता हो, दुनिया से वो डरता हैं,
कि हर बदनाम भी यहाँ, नाम कमाता है जरूर...

प्यार तूने किया उसने दगा, तू पानी बचाकर रख,
कि अंधेरे का बादशाह भी, दीपक जलाता है जरूर...

बेवफाई कर उसने भी, दुनियादारी ही निभाई है,
कि जो तकदीर थी हमारी, आज किसी की है जरूर...

गरजती उछलती लहरें, पहले समंदर से नाता तोड़ती है,
कि साहिल से टकरा बेदम हुई, समंदर मे लौटती है जरूर...
 
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