फिर मोह्हबत की ऐसी शुरुवात हो..!!

वो अहसास है जो दूर होकर भी कुछ पास है..
एक हसरत है जो ना हो पूरी..फिर भी कही आस है..

जो गुज़रे तमाम उम्र इस गम में तो रंज न हो इसका..
जो चाहत को करू बयान वो ऐसी एक हसरत है..

इंतज़ार हो किसी का..और इंतज़ार हो मेरी नज़र का..
वो सूरज की पहली किरण से आहट हो उसकी..

फिर एक उम्मीद हो उससे दीवानगी के मंज़र का..
एक वफ़ा हो..और इक सफ़र हो ज़िन्दगी का..

फी एक वादा हो कही और..अब्र हो मेरे अक्स का..
वक़्त ठहर जाए..ऐसे मेरे प्यार का नज़ारा हो..

जो फिर सागर में आये सैलाब...तो उसके साहिल में मेरा किनारा हो..
इक नशा..एक जुनून इन पलकों का ख्वाब हो..

मेरी मोह्हबत का हर वो सितारा कुछ ऐसा हो..
हो तन्हाई गर मेरे दामन में..तो कुछ इस तरह की हो..

एक लम्हे में रोशनी से गुल-जार ऐसा मेरा घर हो..
चाँद के रास्ते पर चांदनी का साया हसीं हो..

इंतज़ार मेरा ख़त्म हो तो...फिर मोह्हबत की ऐसी शुरुवात हो..!!
 
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