धरका दिल मेरा ,आंख खुली

धरका दिल मेरा ,आंख खुली
देखा वहां न अपना कोई,,,,जो अपना ,वही बेगाना था..

देखा दूर तक,तरपा दिल मेरा
कुछ न पास था मेरे , न अपना ही कोई आशिआना था

वो तो गुजरने लगे बोले, हम तेरे वो न रहे
जिस के साथ बस्ता ये यहाँ, गुज़रता ये ज़माना था

बेवफा लोग बोलते यही मोहब्बत का हषर होता है
मैं तो पगला, यादो में डूबा इक दीवाना था

अपनों ने ही लूटा इस कदर हमें
जैसे मैं कोई लूटा बेशुमार कीमती खज़ाना था

वो तो जीना जानते है अब्ब हमारे बिना
आग में तो जलता ये परवाना था

दिल का हाल , दर्द-ऐ -ज़िगर वो क्या जाने
उनके लिए प्यार करना इक्क छोटा सा अफसाना था

कैसे वो कसमे वो वादे झूठे हो गए
तुम्हे तो दूर तक्क साथ मेरा निभाना था

लोग कहते हैं अपने तो अपने होते है
मगर वो प्यार अपना भी सदियो पुराना था

ऐ खुदा क्यों बेदर्द लोग सिर्फ प्यार लिया करते है
प्यार देते समें अगर इसे ख़ाक में, यु मिलाना था

अबभीऐखुदा, पर्वत्दिगार 'शब् ' करेबंदगीतेरी
अगर वो भी लग जाये सीने मेरे
कहे वो झूठा सपना ,
और मुझे परखने का इक बहन था

लगजाये सीने आ मेरे ,
बोले की मुझे परखने का ये इक बहाना था

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