ShivaniPrakash
Member
सब जागे सूरज देख कर ..
मै चाँद देख कर जागूँगा ... उसकी ठंढक को सीने में संभालूँगा ... ले आया हूँ चाँद को इस जमी पे उतार ... अब वह आसमा में कोई चाँद नहीं..
रहेगा ना कोई दाग उसके दिल के छालों का .. उन्हें अपने प्यार के मरहम से सहला लूँगा..
ये घाव भी तो उसने मेरे लिए ही खाए है ...यही सोचा करता हूँ दिन रात
पर अब उसकी बातो में उसका दर्द साफ़ छलकता है .
बहुत कुछ खो कर कुछ भी ना पाने का दुःख...
चाँद खुद भी तो सोचता होगा ... वही ठीक था आसमान में ... मै भी सुकून से जीता था .....
अब आ गया हूँ एक इंसान के लिए इस जमी पे... रास ना आए फिर भी जीना पड़ेगा
प्यार के लिए बहुत बड़ी कुर्बानी ले रहा हूँ ..खुदगर्ज बन गया हूँ शायद
कही ऐसा ना हो वो उब के वही वापिस आसमा में चला जाए और मै रह जाऊं अकेला तन्हा..
मै चाँद देख कर जागूँगा ... उसकी ठंढक को सीने में संभालूँगा ... ले आया हूँ चाँद को इस जमी पे उतार ... अब वह आसमा में कोई चाँद नहीं..
रहेगा ना कोई दाग उसके दिल के छालों का .. उन्हें अपने प्यार के मरहम से सहला लूँगा..
ये घाव भी तो उसने मेरे लिए ही खाए है ...यही सोचा करता हूँ दिन रात
पर अब उसकी बातो में उसका दर्द साफ़ छलकता है .
बहुत कुछ खो कर कुछ भी ना पाने का दुःख...
चाँद खुद भी तो सोचता होगा ... वही ठीक था आसमान में ... मै भी सुकून से जीता था .....
अब आ गया हूँ एक इंसान के लिए इस जमी पे... रास ना आए फिर भी जीना पड़ेगा
प्यार के लिए बहुत बड़ी कुर्बानी ले रहा हूँ ..खुदगर्ज बन गया हूँ शायद
कही ऐसा ना हो वो उब के वही वापिस आसमा में चला जाए और मै रह जाऊं अकेला तन्हा..