raredreams
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कल रात दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई;
नींद की आंखो से देखा तो,
तुम थी,
मुझसे मेरी नज्में मांग रही थी,
उन नज्मों को, जिन्हें संभाल रखा था,
मैंने तुम्हारे लिए,
एक उम्र भर के लिए ...
आज कही खो गई थी,
वक्त के धूल भरे रास्तों में ......
शायद उन्ही रास्तों में ..
जिन पर चल कर तुम यहाँ आई हो....
क्या किसी ने तुम्हेण बताया नहीं कि,
परायों के घर भीगी आंखों से नहीं जाते.....
नींद की आंखो से देखा तो,
तुम थी,
मुझसे मेरी नज्में मांग रही थी,
उन नज्मों को, जिन्हें संभाल रखा था,
मैंने तुम्हारे लिए,
एक उम्र भर के लिए ...
आज कही खो गई थी,
वक्त के धूल भरे रास्तों में ......
शायद उन्ही रास्तों में ..
जिन पर चल कर तुम यहाँ आई हो....
क्या किसी ने तुम्हेण बताया नहीं कि,
परायों के घर भीगी आंखों से नहीं जाते.....