दिया हुस्न उसने अदा भी मिली थी-गज़ल

दिया हुस्न उसने अदा भी मिली थी
रहे-इश्क* मुझको जफ़ा भी मिली थी

न जीना ही सीखा न मरना ही आया
हमें जिन्दगी की दुआ भी मिली थी

भलाई मिली थी ,भलाई के बदले
गुनाहो की मुझको सजा भी मिली थी



हुआ था अकेला बियांबा में मैं जब
वहां मुझे 'उसकी`सदा भी मिली थी

है गर 'श्याम'छैला नहीं दोष उसका
मिला सांस जब तब अना भी मिली थी

रहे-इश्क =इश्क की राह,प्रेम गली

 
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