ये सोच रहा हूँ . . .

शिकवा नहीं तुम से ना खुद से कोई गिला हैं
उल्फ़त में हुई किस से खता... ये सोच रहा हूँ​

जिस ने कभी दुनिया में सच बोल दिया हैं
क्यों लोग उस से खफा.. . ये सोच रहा हूँ​
 
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