टूटा हुआ सितार हूँ,

राख सा दिखता हूँ, कभी आग बन जाऊंगा. टूटा हुआ सितार हूँ,
कभी साज बन जाऊंगा. कलम टूटने के बाद स्याही बिखर जाती है,
चुपचाप लिखता हूँ आज, कभी आवाज बन जाऊंगा.. Unkown
 
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