मैं जिन्दा हूँ - साहिर लुधियानवी

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मैं ज़िन्दा हूँ यह मुश्तहर1 कीजिए

मेरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए ।


ज़मीं सख़्त है आसमां दूर है

बसर हो सके तो बसर कीजिए ।


सितम के बहुत से हैं रद्द-ए-अमल

ज़रूरी नहीं चश्म तर कीजिए ।


वही ज़ुल्म बार-ए-दिगर है तो फिर

वही ज़ुर्म बार-ए-दिगर कीजिए ।


कफ़स तोड़ना बाद की बात है

अभी ख्वाहिश-ए-बाल-ओ-पर कीजिए ।


1 मुश्तहर=ऎलान
 
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