जो आसान था वो सफ़र छोड़ आये..

~¤Akash¤~

Prime VIP
हम उस बेवफा का भरम तोड़ आये
वो क्या छोड़ता उसको हम छोड़ आये

तुम हुश्यार रहना जबाँ-तल्ख़ लोगों
अब हम आजिजी का हुनर छोड़ आये

ना तनकीद करना मेरे हौसलों पर
तहे-तेग खुद अपना सर छोड़ आये

समंदर की तुगयानी देखेंगे हम भी
बना कर के साहिल पे घर छोड़ आये

अहतराम ए मंजिल किया इस तरह से
जो आसान था वो सफ़र छोड़ आये..............

जबाँ-तल्ख़=कडवी जबान
आजिजी=विनम्रता
तनकीद=व्यंग
तहे-तेग=तलवार के नीचे
तुगयानी=उफान
अहतराम ए मंजिल=मंजिल का सम्मान
 
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