माँ बाप को दे सजदे वो लख्ते-जिगर कम हैं .

~¤Akash¤~

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इन्तहा हैं तड़प की पर उसपे असर कम हैं
चश्मे नम को उसकी ये चाके-जिगर कम हैं

किसी को आज तुम बे फुजूल दोष मत दो
अयान महोब्बत का बस तुम को हुनर कम हैं

यूँ सर तो कट रहे हैं तेरे शहर में रोज
माँ बाप को दे सजदे वो लख्ते-जिगर कम हैं .
 
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