ऐसे मौहाल में को बुलाया जाये !

~¤Akash¤~

Prime VIP
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,
जिसमे इंसान को इंसान बनाया जाए !

जिसकी खुशबू से महक जाए घर पडोसी का,
फूल इस किस्म का हर सिम्त खिलाया जाए !

आग बहती यहाँ गंगा में, ज़मज़म में भी,
कोई बतलाये कहाँ जा के नहाया जाए !

मेरा मकसद है ये महफ़िल रहे रौशन यूँ ही,
खून चाहे मेरा दीपों में जलाया जाए !

गीत गुमसुम है, ग़ज़ल चुप है, रुबाई है उदास,
ऐसे मौहाल में को बुलाया जाये !
 
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