ग़ैर ने की आह, लेकिन वह ख़फ़ा मुझ पर हुआ

~¤Akash¤~

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क़तरा-ए-मै[1] बस कि हैरत से नफ़स-परवर[2] हुआ
ख़त्त-ए-जाम-ए-मै[3] सरासर रिश्ता-ए-गौहर[4] हुआ

एतिबार-ए-इश्क़ की ख़ाना-ख़राबी देखना
ग़ैर ने की आह, लेकिन वह ख़फ़ा मुझ पर हुआ

शब्दार्थ:

१. शराब की बूंद
२. जीवन बढ़ानेवाला
३. शराब के प्याले के ऊपर खिंची रेखा
४. मोती की लड़ी

____________ग़ालिब
 
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