आरजी रिश्तों पे ईमान नहीं है मेरा मैं तो बस रूह के रिस्तो पे यकीं रखता हूँ! जहां महबूब के कदमो के निशां पड़ते है मैं बसद-शौक वही अपनी जबीं रखता हूँ !