ना कोई नज़र मिली न नवाजे परवरदिगार मिली मेरे बजुदे उम्र का बस फरेब-ए-रुदाद रह गया.... न खाक में ही मिल सका न फसले-गुल में खिल सका. जो गिर के न संभल सका वही दिल-ए-नाशाद रह गया...