पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना ? जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ? मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं, जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना