फूलों से ही नहीं कांटो से भी दामन भर लेते है, हम वफ़ा परस्त है, हर पत्थर से वफ़ा कर लेते है... मुहब्बत झूठी हो या, सच्ची कब परवाह करते है, ग़लती किसी की हो, हम इल्ज़ाम अपने सर लेते है...