उस दायरे से निकलकर रोने लगा...

~¤Akash¤~

Prime VIP
अपने साए से लिपटकर रोने लगा,
बातो बातो में सिसककर रोने लगा,

क्या ग़म था उसे कुछ बता न सका,
वो बस हिचकियाँ भरकर रोने लगा...

जो मुझे गैर हमेशा कहता आया था,
अचानक अपना समझकर रोने लगा.....

समझौता करना अब शायद भूल गया,
और हालातों से बहककर रोने लगा....

वो मुझसे फासला बहुत रखता था,
क्यूँ फिर मुझमे सिमटकर रोने लगा...

हमेशा वो जिस दायरे में रहता था,
उस दायरे से निकलकर रोने लगा...
 
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