फीके पड़ गए, कंगन-वंगन, जेवर-वेवर सब

~¤Akash¤~

Prime VIP
उसकी कत्थई, आँखों में है, जंतर मंतर सब,
चाकू-वाकू, छुरियां-वुरियां, नश्तर-वश्तर सब

जिस दिन से, तुम रूठी मुझसे, रूठे रूठे हैं
तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर, चद्दर-वद्दर सब


किस दिन मैं डूबूँगा ये फिक्रें करतें है,
दरिया-वरिया, कश्ती-वश्ती, लंगर-वंगर सब....

मुझसे बिछड़के वो भी कहाँ अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए, कंगन-वंगन, जेवर-वेवर सब
 
Top