कैसा भी हो घाव निशान छोड़ जाता है., परिंदा भी

~¤Akash¤~

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कैसा भी हो घाव निशान छोड़ जाता है.,
परिंदा भी एक दिन डाल छोड़ जाता है,

कितना भी फिरता हो बंजारा गली गली ,,
एक दिन वो भी गाँव छोड़ जाता है,

बनाओ कितने भी मज़बूत दीवारे तुम,
तूफान जाने कितने घर तोड़ जाता है,

रिश्ते की गहराई अल्फाजो से मत नापो,
सिर्फ एक सवाल सारे धागे तोड़ जाता है,

इंतज़ार करना खुशियों का बेकार है,
नसीब अक्सर वो राहे मोड़ जाता है ,
 
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