पूरी हो जाये ..तो फिर से नयी चाहतों का समन्दर

~¤Akash¤~

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कश्ती को तलाश होती है किनारे की ...
किसी एक साहिल की जिसे वो अपना कह सके...

फूलों को चाह होती है खुशबू की..
किसी एक भवरें की जिसे वो अपनी खुशबू दे सके..

नदी को आस रहती है सागर की...
किसी एक प्यासे की..जिसकी प्यास वो बुझा सके..

दिए को तलश होती है रोशनी की..
किसी एक अँधेरे की जिसे वो रोशन कर सके..

मोती को पसंद होती है चमक अपनी..
किसी एक नजर की जो उसकी चमक को देख सके..

तारों को छह रहती है..चांदनी की ..
किसी एक चाँद की ...जिसकी वो रातें हसीं कर सके..

चाहत के इस सफ़र में सबकी अपनी हसरते है...
पूरी हो जाये ..तो फिर से नयी चाहतों का समन्दर है..!
 
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