मुंह की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन?
आवाजों के बाज़ारों में, ख़ामोशी,पहचाने कौन?
सदियों सदियों वही तमाशा, रस्ता रस्ता लम्बी ख़ोज,
लेकिन जब वो मिल जाता है, खो जाता है जाने कौन?
वो मेरा आईना है और, मैं उसकी परछायीं हूँ,
मेरे ही घर में रहता है, मुझ जैसा ही जाने कौन?