कभी हिंदी कभी उर्दू में मुझको कुछ असर भी दे..

~¤Akash¤~

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हुनर तो दे दिया यारब हुनर में कुछ असर भी दे
जो कर जाये असर सब पर मुझे ऐसा हुनर भी दे

मेरे मौला है दिल में चूम लूँ उस पाक धरती को
कभी काशी कभी मुझको मदीने का सफ़र भी दे

भले ही कैद कर ले तू मगर इतना करम तो कर
कभी हम पंछियों को हौंसलों के बालो-पर भी दे

बहुत हैं बेकरारी साथ में दिल में तड़फ भी हैं
मगर उस पर असर कर जाये, वो चाके जिगर भी दे

बिना उसके भला ये हैं मेरे किस काम की दुनिया
सदा दस्तर ही दी हैं कभी एक बार सर भी दे

यूँ काबिल तो बनाया है मुझे तुने बहुत यारब
कभी हिंदी कभी उर्दू में मुझको कुछ असर भी दे..
 
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