रहा जो साथ मेरे, राय अपनी वो बदल बैठा......

~¤Akash¤~

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तेरा जो ख्याल आया तो ये दिल मेरा मचल बैठा
तेरी ख्वाइश लिए दिल मेरा सीने से निकल बैठा

पता था ख़ाक कर देंगी तेरी नजदीकियां मुझको
मगर तेरी महोब्बत में, मैं परवाना था जल बैठा

जो रहता था सदा ही मुन्तजिर बनकर किनारों पर
उठा के आज कश्ती को है तूफां में निकल बैठा

बदलता था जो रुख यारों हमेशा से हवाओं के
महोब्बत की हवाओं में वो खुद को ही बदल बैठा

सजा दी थी जिसे मैंने महोब्बत की,वफाओं की
था कैदी तू मेरा फिर क्यूँ इन आँखों से निकल बैठा

हमेशा लडखडाया जो अक्ल की बात पे चल के
चला जो दिल की सुनके वो तो गिर के भी संभल बैठा

हुई संजीदगी इतनी मेरे माजी की यादों से
छुपा था आँखों में बरसों से एक आँसूं निकल बैठा

गुजरती हो मेरे मौला भले ही मैकदे में अब
सदायें आयी मस्जिद से था मैकश वो संभल बैठा

मेरा दुश्मन था, पर अब मेरे ही किस्से सुनाता हैं
रहा जो साथ मेरे, राय अपनी वो बदल बैठा......
 
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