हमको आया ही नहीं जाने ये कैसा है हिसाब सारी उम्र लगी एक ही रिश्ता बुनते बुनते अच्छा रहता जो हम ज़हन की सुन लेते कभी सब कुछ हैं लुटा दिल की तो सुनते सुनते नम आँखों से आज तो खो आये उसी को सब खोया था जिस एक को चुनते चुनते...