फरेबी थे सभी कोई वहां सच्चा नहीं था जबाँ मीठी मगर दिल से कोई अच्छा नहीं था किताबें खा गई बचपन शहर के कोई बच्चा वहां, बच्चा नहीं था महक भी खो गई अपनी जमीं की थे शीशे के सभी, कोई मकाँ कच्चा नहीं था....