वही जल रहा था जहां तक धुआं था.......

~¤Akash¤~

Prime VIP
बजी घंटियाँ
ऊँचे मीनार गूंजे
सुनहरी सदाओं ने फिर से हवाओं पे
रहमत के बरकत के पैगाम लिक्खे
सूरज को ले के सुबह फिर से आयी
भजन गाते आँचल ने
पूजा की थाली से बांटे सवेरे
खुले द्वार बच्चों ने बस्ता उठाया
बुजर्गों ने पेड़ो को पानी पिलाया
नए हादसों की खबर ले के बस्ती की गलियों में अख़बार आया
खुदा की हिफाजत की खातिर पुलिस ने
पुजारी के मंदिर में, मुल्ला की मस्जिद में पहरा लगाया.........

खुदा इन मकानों में लेकिन कहाँ था
सुलगते महोल्ले के दीवारों दर में
वही जल रहा था जहां तक धुआं था.......
 
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