घर की बेटी बहुएँ क्या हैं माओं के सर खोल दिए..

~¤Akash¤~

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थोड़े कबूतर कैद किये और थोड़े कबूतर ख़ोल दिए
बच्चों के पर बांध के उसने बूढों के पर ख़ोल दिए

कैद में रह कर भी हमने जोशे जुनू से कम लिया
सर टकराकर जिंदा की दीवारों में दर खोल दिए

कैसे कोई बाँध के रखे...... कैसे कोई कैद करे
उसने हमको सदियाँ देकर लम्हों के पर खोल दिए

सदियों की तहजीब थी लेकिन तेज हवा ने फैशन की
घर की बेटी बहुएँ क्या हैं माओं के सर खोल दिए..................
 
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