~¤Akash¤~
Prime VIP
ये ज़िन्दगी का बोझ उठाया नहीं गया
हालत वो थे ज़हर भी खाया नहीं गया
उसकी बज़्म से हम प्यासे ही लौट आये
औरों की तरह सर तो झुकाया नहीं गया
यारों से कभी अपनी तबियत नहीं मिली
और दुश्मनों से हाथ मिलाया नहीं गया
अपनों से चाहे कितने शिकवे रहे मगर
गैरों को हाले दिल तो सुनाया नहीं गया
उसने भी कभी खुद को प्यासा ना बताया
और दरिया बनके हमसे भी आया नहीं गया
यूँ बन के बादशाह तो शहरों में रहे हम
पर गाँव के घर को भी भुलाया नहीं गया..
हालत वो थे ज़हर भी खाया नहीं गया
उसकी बज़्म से हम प्यासे ही लौट आये
औरों की तरह सर तो झुकाया नहीं गया
यारों से कभी अपनी तबियत नहीं मिली
और दुश्मनों से हाथ मिलाया नहीं गया
अपनों से चाहे कितने शिकवे रहे मगर
गैरों को हाले दिल तो सुनाया नहीं गया
उसने भी कभी खुद को प्यासा ना बताया
और दरिया बनके हमसे भी आया नहीं गया
यूँ बन के बादशाह तो शहरों में रहे हम
पर गाँव के घर को भी भुलाया नहीं गया..