अपनी माँ के पाँव दबाता रहता हूँ..........

~¤Akash¤~

Prime VIP
अब भूल गये हैं वो अपनी अदा अयान
क्या पत्थरों में आइना-खाना नहीं रहा..........

तन्हाई का जशन मनाता रहता हूँ
खुद को अपने शेर सुनाता रहता हूँ

जन्नत की कुंजी हैं मेरी मुट्ठी में
अपनी माँ के पाँव दबाता रहता हूँ..........
 
Top