आईने में अपना अक्स, पुराना नहीं रहा......

~¤Akash¤~

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मेरे घर के सामने दरे-जाना नहीं रहा
सब कुछ है बस वो यार पुराना नहीं रहा

ये कैसी ख़ामोशी यहाँ हर गली में आज
इस शहर मे कोई हम सा दीवाना नहीं रहा

अब किस के लिए नम हो पलकों की कतारे
जब यादों का कोई ज़ख्म पुराना नहीं रहा

यूँ वादे तो सबके ही निभाये उसने
बस याद मेरा साथ निभाना नहीं रहा

बस बंजारा मिजाजी में कटी है ये ज़िन्दगी
अपना भी कोई एक ठिकाना नहीं रहा

ना मुझसे जिक्र कर किसी की बेवफाई का
अब इस दिल मे उसका आना जाना नहीं रहा

फिर हम भी कभी उसके ख्वाबों में नहीं आये
उसके भी याद फूल चढ़ाना...........नहीं रहा

हम खुद में ढूँढ़ते है किसी और को "अयान"
आईने में अपना अक्स, पुराना नहीं रहा......
 
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