के महशर में शायद खुदा साथ ना हो....

~¤Akash¤~

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वो क्या ज़िन्दगी जो अना साथ ना हो
दवा क्या जो माँ की दुआ साथ ना हो

वो मिल कर के बरसों में रोया बहुत
गया था तो ऐसे के कुछ बात ना हो

ये दरिया दिलों के निकल जाने दे
इन आँखों से फिर शायद बरसात ना हो

हैं लोगो के हाथों में प्याला ज़हर का
कही भीड़ में फिर से सुकरात ना हो

वो तेरे लिए छोड़ आया हैं दुनिया
कही ऐसा ना हो तू ही साथ ना हो

वो आये हैं दर पे अयान आज मेरे
गुजरे ना दिन ये ख़तम रात ना हो

है डर मुझसे कोई, बुझा दे अभी
बाद में आँधियों के हालत ना हो

इबादत किसी की "अयान" इतनी कर ली
के महशर में शायद खुदा साथ ना हो....
 
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