अपने लफ़्ज़ों को जोड़ आये हम....

~¤Akash¤~

Prime VIP
आसमां ने हैं फिर बुलाये हम
बन के रूह जिस्म छोड़ आये हम

आज दिल ने खिरद की ना मानी
खुद से रिश्ता ही तोड़ आये हम

तुम से मिलने से रोकती थी ये
ज़िन्दगी को ही छोड़ आये हम

जिस्म जब बन गया बाजारों सा
दिल को मंदिर में छोड़ आये हम

बात दरिया की जब चली फिर से
कतरा कतरा ही जोड़ आये हम

बस गया हैं वो लहजा हर दिल में
उर्दू, हिंदी में जोड़ आये हम

महलों में कब मिली हैं वो खुशबु
घर कहाँ कच्चे छोड़ आये हम

जब छिड़ी आज ज़िन्दगी की ग़ज़ल
अपने लफ़्ज़ों को जोड़ आये हम....
 
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