शायर ना थे हम बस यूहीं दीवान कर लिया.................

~¤Akash¤~

Prime VIP
डरते थे सदा जिससे वही काम कर लिया
गमे-जाना को अपने दिल में ही मेहमान कर लिया

चलता था अक्ल से ये महोब्बत के नाम पे
हुशियार था ये दिल इसे नादान कर लिया

तेरे ही साथ रहे हम तो तेरे बाद भी
हर रोज तुझको याद सुबहो शाम कर लिया

बोझिल सी रही तेरे बिना रोज ज़िन्दगी
क्या करे बस जीने का इंतजाम कर लिया

महशर में बताकर के "अयान" उसको अपना दोस्त
कातिल को भी हमने तो पशेमान कर लिया

उसी के सर पे दुनिया में आयी बुलंदियां
माँ बाप का जिसने भी एहतराम कर लिया

हिजाब रखो कुछ तो मेरे शर-पशंद दोस्तों
शैतान ने भी खुद को अब इंसान कर लिया

महसूस किए सब के दर्द हमने इस तरह
शायर ना थे हम बस यूहीं दीवान कर लिया.................

गमे-जाना=महबूब का गम
महशर=खुदा के सामने
पशेमान=शर्मिंदा,लज्जित
एहतराम=सम्मान
शर-पशंद=आग लगाने वाला,नफरत फ़ैलाने वाला
दीवान=ग़ज़ल संग्रह
 
Top