हर तरफ तू ही तू है तेरा नूर है.

~¤Akash¤~

Prime VIP
गर्दिश में अब के पड़ा नूर है
कोई उस तरफ भी मजबूर है

मुंबई सियासत के हाथों लुटा
कराची वाले भी लगता है मजबूर है

मजबूरियों की ये हैं गुरबतें
वरना आदमी आदमी से बहुत दूर है

बस में नहीं था मेरे आज कुछ
यूँ शायद खुदा भी मजबूर है

मौत पास हैं चल गले से लगें
जिंदगी तो अभी भी बहुत दूर है

अब बदलते हैं मौसम हमारी तरह
ये आदत भी इन्सां की मशहूर है

छोड़ कर तेरे दर को जाते कहाँ
हर तरफ तू ही तू है तेरा नूर है.
 
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