श्याम बनू मैं और तुम में राधा की प्रीत रहें..

~¤Akash¤~

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दिल के ऐसे बंधन हमदम अपने बीच रहें
श्याम बनू मैं और तुम में राधा की प्रीत रहें

गहरे गहरे बादल फिर गुजरे हैं मेरे घर से
लगता हैं छूकर तुमको आये हैं आज उधर से
ऐसे मौसम में होंठों पर कैसे गीत रहें
कभी तुम हो मेरे और कभी हम तेरे मीत रहें
श्याम बनू मैं और तुम में राधा की प्रीत रहें

तितली बनकर फिरते हो हम हर गुलपर मधुबन में
और कभी पंछी बन कर उड़ जाये नील गगन में
ना हो कुछ बंधन दुनिया की जो भी रीत रहें
कभी हारूं में तुम से और कभी मेरी जीत रहें
श्याम बनू मैं और तुम में राधा की प्रीत रहें

दिल के ऐसे बंधन हमदम अपने बीच रहें
श्याम बनू मैं और तुम में राधा की प्रीत रहें..
 
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