करो ना आज तुम उसका यहाँ ऐतबार कोई....

~¤Akash¤~

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छुपाकर कर रहा है फिर से मुझ पर वार कोई
वो शायद है मेरा ही आज फिर दिल दार कोई

किया ही कत्ल जिसने हर तरफ इंसानियत का
उसी के नाम का बनता नहीं हथियार कोई

समझी ही नहीं हमने कभी उसकी महोब्बत
छुपाता था सदा ही मुझसे वो इसरार कोई

थमे है आज दरिया साथ मे चुप है किनारे
चला है आज फिर तनहा सा ही उस पार कोई

देता है सभी के सर को जो तिरपाल यारों
उसी का ही नहीं है खुद यहाँ घर बार कोई

मेरे साथी तेरी जानिब कदम बढ़ते कहाँ से
रस्ते ही नहीं थे जब मेरे हम वार कोई

बहुत मासूम था कल तक अयान अब है फरेबी
करो ना आज तुम उसका यहाँ ऐतबार कोई....
 
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